कोयला एवं खान मंत्रालय के CMD, निदेशक पर प्राथमिकी दर्ज

दैनिक झारखंड न्यूज
रांची । सीबीआइ की रांची स्थित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में कोयला एवं खान मंत्रालय के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक (सीएमडी) केडी दीवान, निदेशक अभिजीत घोष, खनन कंपनी इंडिया रिसोर्स लिमिटेड व अन्य अज्ञात लोकसेवकों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई है। यह प्राथमिकी हिंदुस्तान कापर लिमिटेड (एचसीएल) को 17.17 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के मामले में दर्ज की गई है।

पूरा मामला एचसीएल के पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला स्थित सुरदा माइंस से जुड़ा है, जहां खनन एवं रखरखाव की जिम्मेदारी खनन कंपनी इंडियन रिसोर्स लिमिटेड (आइआरएल) को दी गई थी। इसी कंपनी के माध्यम से एचसीएल को यह नुकसान पहुंचाया गया था। मामले का खुलासा तब हुआ था, जब एचसीएल कोलकाता के मुख्य निगरानी अधिकारी (सीवीओ) नवीन कुमार सिंह ने पांच अप्रैल 2019 को सीबीआइ की रांची स्थित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में लिखित शिकायत की थी।

तत्कालीन सीएमडी केडी दीवान के दबाव में एचसीएल प्रबंधन ने बिना किसी वैध कागजात का अग्रिम भुगतान कर दिया

नवीन कुमार सिंह की शिकायत पर सीबीआइ ने प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज कर जांच कराई थी। पीई जांच सीबीआइ के इंस्पेक्टर अवधेश कुमार सुमन ने की थी। उनकी जांच रिपोर्ट को सीबीआइ की रांची स्थित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के डीएसपी सुधांशु शेखर ने 28 दिसंबर 2019 को सौंपी थी। प्रारंभिक जांच के आधार पर ही सीबीआइ ने प्राथमिकी दर्ज की है। दर्ज प्राथमिकी में यह स्पष्ट आरोप है कि तत्कालीन सीएमडी केडी दीवान के दबाव में एचसीएल प्रबंधन ने बिना किसी वैध कागजात का अग्रिम भुगतान कर दिया। इससे एचसीएल व सरकार को नुकसान पहुंचा।

सीबीआइ को प्रारंभिक जांच (पीई) में यह जानकारी मिली कि मेसर्स इंडियन रिसोर्स लिमिटेड (आइआरएल) को एचसीएल के पूर्वी सिंहभूम स्थित घाटशिला के सुरदा खानों के खनन एवं रखरखाव का काम दिया गया था। यह झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में आता है। आरोप है कि मेसर्स आइआरएल की अनुबंध अवधि वर्ष 2014 में समाप्त होनी थी, लेकिन अनुबंध की अवधि को एचसीएल के अज्ञात अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर बढ़ा दिया था, जबकि समझौते में अवधि विस्तार से संबंधित कोई जिक्र नहीं था।

10.76 करोड़ रुपये के बिजली बिल का भुगतान भी नहीं किया

यह भी आरोप है कि मेसर्स आइआरएल को जनवरी 2013 से मार्च 2017 की अवधि के दौरान 36.19 करोड़ रुपये ब्याज मुक्त अग्रिम राशि के रूप में बिना किसी वैध व सुरक्षित कागजात के भुगतान कर दिया गया था। हालांकि, बाद में 36.19 करोड़ रुपये में से एचसीएल के अज्ञात अधिकारियों के माध्यम से 6.41 करोड़ रुपये की वसूली नहीं की जा सकी थी। आरोप यह भी है कि खनन कंपनी ने मजदूरों का भुगतान, पीएफ का भुगतान, राजस्व व टैक्स का भुगतान किए बगैर ही काम छोड़ दिया। यहां तक की 10.76 करोड़ रुपये के बिजली बिल का भुगतान भी नहीं किया। इस प्रकार मेसर्स आइआरएल ने एचसीएल को 17.17 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया।

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